ना चाँद अपना था और ना तू अपना था
काश दिल भी मान लेता की सब सपना था
कौन करता था वफ़ाओं के तकाज़े तुमसे
हम तो बस तेरी झूठी तसल्ली के तलबगार थे
दीदार हमारे सनम का कोई ईद से कम नहीं
सनम हमारा यारों कोई चाँद से कम नहीं
एहसास की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्ते में
वरना रेत भी सूखी हो तो निकल जाती है हाथों से
खामोश तुम्हारी नजरों ने एक काम गजब का कर डाला
पहले थे हम दिल से तन्हा अब खुद से ही तन्हा कर डाला