प्रेम यक़ीन दिलाने का मोहताज नहीं होता
एक दिल धड़कता है तो दुजा समझता है
हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं
तोडने वाले को भी खुशबू की सजा देते हैं
जब जब में लेता हूँ साँस तू याद आती है
मेरी हर एक साँस मे तेरी खुश्बू बस जाती है
कैसे कहूँ तेरे बिना में ज़िंदा हूँ
क्यूंकी हर साँस से पहले तेरी खुसबु आती है
मिल जाता है दो पल का सुकूंन बंद आँखों की बंदगी में
वरना परेशां कौन नहीं अपनी-अपनी ज़िंदगी में
दुश्मनी में दोस्ती का थोड़ा सा सिलसिला रहने दिया
उसके सारे ख़त जलाए बस पता बाकी रहने दिया