एक तेरा नाम लेते ही मेरे चेहरें पर मुस्कान आ जाती है
मै कितनी ही मुश्किल में क्यों ना हूं मेरी जान में जान आ जाती है
वक़्त के मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है
ज़ख़्म दिल का ज़ुबाँ पर आया है
न रोते थे कभी काँटों की चुभन से
आज न जाने क्यों फूलों की खुशबू से रोना आया है
शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को
कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए तेरे एक नाम को
हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन
अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को.
मुझ पर अपना इश्क यूँ ही उधार रहने दे
बड़ा हसीन है ये कर्ज मुझे अपना कर्जदार रहने दे
तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता
मैंने सोचा था समझोगे तुम मेरे हालात
लेकिन तुमनें तो ख़्यालात ही बदल दिए
कोई खबर नही उनकों,क्या हम पर गुज़री है
अकेले तन्हा तन्हा रातेंदर्द बन कर सीने से उतरी है
एक खता हुई है हमसें, जो तेरा दीदार कर लिया
दुसरा तो गुनाह ही हो गया, जो तुमसें ही प्यार कर लिया