मुमकिन हो तो मेरे दिल मे रह लो
इससे हसीन मेरे पास कोई घर नही
वो एक दिन जो मुक़र्रर था मुहब्बत के लिए
वो एक दिन तो तुझे सोचने में ही बीत गया
आज हम दोनो को है फुरस्त चलो इश्क करे
इश्क है दोनो की ही जरूरत चलो इश्क करे
हाँ है, तो मुस्कुरा दे ना है तो नज़र फेर ले
यूँ शरमा के आँखें झुकाने से उलझनें बढ़ रही हैं
काश मैं ऐसी गजल लिखूं तेरी याद में
तेरी शक्ल दिखाई दे हर अल्फाज में