मुमकिन नही है हर नजर में बेगुनाह रहना
कोशिश करें कि खुद की नजरों में #बेदाग हों
मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से
कोई रोये तो आँसू पोंछ देना अपने दामन से
ये लाली, ये काजल, जुल्फें भी खुली खुली
यूँ ही जान मांग लेती, इतना इंतज़ाम क्यूं किया
ऐ ज़ालिम जिंदगी तू कैसे कैसे सितम कर जाती है
जितनी मेरी उम्र नहीं उससे ज्यादा जख्म दे जाती है
मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
न झुकाओ तुम निग़ाहें कहीं रात ढल न जाए