मेरा ही दिल मुझ से बग़ावत करता है
पागल है, जो जबरन मुझ पर हुकूमत करता है
तुम्हें मेरी फिक्र ही नहीं रहती है
जाने क्यूँ फिर भी ये तेरा ही जिक्र करता है
sharab ka bahana kar ke zaher do aaj mujhe
maut mushkil ho gaya hai aaj tere bigair jeena
कह दो हर वो बात जो जरुरी है कहना क्योंकि
कभी-कभी जिन्दगी भी बेवक्त पूरी हो जाती है
ये दिल जर्जर हो गया रूसवाई के खेलों में
तन्हा के तन्हा रहे गये हम वफाई के मेलों मे
suna hai tum bhi nilke ho wafa ki talash main
laut jao saheb ye to hai jo apno se bhi nahi milti
र चुके जख्मों को कुरेद कुरेद कर नोच रहा हूं
मैं आज फिर तन्हा बैठा तुमको ही सोच रहा हूं
rakhte hai talluk to nibhate hai umar bhar
hum se badla nahi jata yaar bhi aur piyaar bhi
यूँ पलके बिछा कर तेरा इंतज़ार करते है
यह वो गुनाह है जो हम बार बार करते है
जलकर हसरत की राह पर चिराग
हम सुबह और शाम तेरे मिलने का इंतज़ार करते है