हैं यही एक खराबी मेरे तन्हाई की दिलकश
दिल से रोते हैं मगर होठो से मुस्कुराते हैं
यू ही हम किसी से अपना वफ़ा निभाते हैं
दूरिया कितना भी हो पर प्यार हमेशा रहे
दूरियों का गम नही हमे अगर फासले दिल मे न हो
नजदीकियां बेकार है अगर दिल मे मेरे लिए जगह न हो
अल्फाज अक्सर अधूरे ही रह जाते है मोहब्बत में
हर शख्स किसी न किसी की चाहत दिल में दबाये रखता है
चुन-चुन कर शब्द नए किस्से वही हर बार लिखुँ
तेरे इन नशीले आँखों मे अपना सारा संसार लिखुँ
मैं विरह की वेदना लिखुँ या मिलन की झँकार लिखुँ
तू ही बता थोड़े शब्दों मे कैसे सारा प्यार लिखुँ