तुम लाख छुपाओ सीने में एहसास हमारी चाहत का
दिल जब भी तुम्हारा धड़का है आवाज यहां तक आई है
तू ज़ुल्म कहॉं तक ढायेगा देखें किस हद तक जायेगा
हॉं झूठ फ़ना होगा इक दिन और सच का अलम लहरायेगा
जिन्दगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा ही रह गया
हम सीख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया
मुस्करा कर देखो तो सारा जहा रंगीन है
वर्ना भीगी पलको से तो आईना भी धुधंला नजर आता है
उदासी, शाम, तन्हाई, यादे, बेचैनी
मुझे सब सौंपकर सुरज उतर जाता है पानी मे
सौ दर्द हैं महोब्बत में बस एक राहत हो तुम
नफ़रतें बहुत हैं जहाँ में बस एक चाहत हो तुम